राखी बाद में बंधवा लीजियेगा पहले मनुष्य/भाई तो बनिये। सोमवार को श्रावणी मास का आखिरी सोमवार और पूर्णिमा का एक साथ होना महा कल्याणकारी माना गया है। हम सबने इस महा कल्याणकारी दिवस को रक्षा बंधन के रूप में अपनी अपनी बहनों के साथ मनाया और हमने उन्हें वचन भी दिया की हम उनकी रक्षा करेंगे। हमने सोशल मीडिया पर फ़ोटो लगाकर इसको अपने बहन के प्रति प्यार को दर्शाया भी।
लेकिन आज मैं यह सब क्यों लिख रहा हूँ क्योंकि कही ना कही हर घंटे लगभग 40 महिलाओं के साथ किसी ना किसी प्रकार का दुर्व्यवहार होता है पूरे देश में, और करता कौन है कोई ना कोई मर्द ही करता है और वह मर्द कौन होता होगा किसी ना किसी का भाई। आप सोचिये और चिंतन कीजिये कि आप क्या कर रहे है। क्या आप आज की तारीख में अपने बहन के साथ हमेशा खड़े रह पाएंगे, सोचिये अगर आपकी बहन के साथ ऊंच नीच होती है और आप 1500 किलोमीटर दूर तो आप क्या करेंगे। आप किसी भी महिला के लिए अच्छा सोचिये कोई ना कोई आपकी बहन के लिए अच्छा सोचेगा।
सोचिये किसी दिन हर बहन ने अपने भाई से राखी बांधते वक़्त अगर यह कह दिया कि मैं तुम्हारे हाथ पर राखी तभी बांधूगी जब तुम इस बात का आश्वासन दोगे की तुमने ज़िंदगी मे कभी कभी किसी लड़की के साथ किसी भी तरह की दुर्व्यवहार ना की हो। तो सोचिये क्या होगा लगभग सभी भाइयों की कलाइयाँ सुनी नजर आएगी और कोई भी राखी किसी के हाँथो पर बंधी नजर नही आएंगी। सभी बहने मायूस नजर आएंगी। तो सोचिये सिर्फ राखी मत बंधवाईये उसका मान रखना सीखिए और सिखाइये।
मेरी मानिये मत करिए कोई भी सामाजिक कार्य, मत करिए कोई क्रांतिकारी काम और मुझ जैसों को भी शांत रहने की नसीहत मत दीजिये, पर आँखों का पानी मत मरने दीजिये। थोड़ी शर्म बची रहने दीजिये। इस देश को, इस समाज को एक मुर्दा लाश मत बनने दीजिये। राखी बाद में बंधवा लीजियेगा पहले मनुष्य/भाई तो बनिये।
धन्यवाद।
शशिधर कुमार
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