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मंडल रिपोर्ट : कब क्या हुआ

मंडल रिपोर्ट : कब क्या हुआ20 दिसंबर 1978 – सामाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की समीक्षा के लिए मोरारजी देसाई सरकार ने बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की. यह मंडल आयोग के नाम से चर्चित हुआ.

1 जनवरी 1978 – आयोग के गठन की अधिसूचना जारी.

दिसंबर 1980 – मंडल आयोग ने गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह की रिपोर्ट सौंपी. इसमें अन्य पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश.

1982 – रिपोर्ट संसद में पेश.

1989 – लोकसभा चुनाव में जनता दल ने आयोग की सिफारिशों को चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया.

7 अगस्त 1990 – विश्वनाथ प्रताप सिंह ने रिपोर्ट लागू करने की घोषणा की.

9 अगस्त 1990 – विश्वनाथ प्रताप सिंह से मतभेद के बाद उपप्र्धानमंत्री देवीलाल ने इस्तीफ़ा दिया.

10 अगस्त 1990 – आयोग की सिफारिशों के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था करने के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू.

13 अगस्त 1990 – मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने की अधिसूचना जारी.

14 अगस्त 1990 – अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चे के अध्यक्ष उज्जवल सिंह ने आरक्षण प्रणाली के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

19 सितंबर 1990 – दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एसएस चौहान ने आरक्षण के विरोध में आत्मदाह किया. एक अन्य छात्र राजीव गोस्वामी बुरी तरह झुलस गए.

17 जनवरी 1991 – केंद्र सरकार ने पिछड़े वर्गों की सूची तैयार की.

वीपी सिंह – वीपी सिंह सरकार ने आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने की घोषणा की थी

8 अगस्त 1991 – रामविलास पासवान ने केंद्र सरकार पर आयोग की सिफ़ारिशों को पूर्ण रूप से लागू करने में विफलता का आरोप लगाते हुए जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. पासवान गिरफ़्तार किए गए.

25 सितंबर 1991 – नरसिंह राव सरकार ने सामाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान की. आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत करने का फ़ैसला. इसमें ऊँची जातियों के अति पिछड़ों को भी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया.

24 सितंबर 1990 – पटना में आरक्षण विरोधियों और पुलिस के बीच झड़प. पुलिस फायरिंग में चार छात्रों की मौत.

25 सितंबर 1991 – दक्षिण दिल्ली में आरक्षण का विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस फायरिंग में दो की मौत.

1 अक्टूबर 1991 – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आरक्षण के आर्थिक आधार का ब्यौरा माँगा.

2 अक्टूबर 1991 – आरक्षण विरोधियों और समर्थकों के बीच कई राज्यों में झड़प. गुजरात में शैक्षणिक संस्थान बंद किए गए.

10 अक्टूबर 1991 – इंदौर के राजवाड़ा चौक पर स्थानीय छात्र शिवलाल यादव ने आत्मदाह की कोशिश की.

30 अक्टूबर 1991 – मंडल आयोग की सिफारिशों के ख़िलाफ़ दायर याचिका की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह मामला नौ न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया.

17 नवंबर 1991 – राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और उड़ीसा में एक बार फिर उग्र विरोध प्रदर्शन. उत्तर प्रदेश में एक सौ गिरफ़्तार. प्रदर्शनकारियों ने गोरखपुर में 16 बसों में आग लगाई.

सुप्रीम कोर्ट – सुप्रीम कोर्ट ने भी मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की अनुमति दे दी थी

19 नवंबर 1991 – दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में पुलिस और छात्रों के बीच झड़प. लगभग 50 लाख घायल. मुरादाबाद में दो छात्रों ने आत्मदाह का प्रयास किया.

16 नवंबर 1992 – सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसले में मंडल आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने के फ़ैसले को वैध ठहराया. साथ ही आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत रखने और पिछड़ी जातियों के उच्च तबके को इस सुविधा से अलग रखने का निर्देश दिया.

8 सितंबर 1993 – केंद्र सरकार ने नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण देने की अधिसूचना जारी की.

20 सितंबर 1993 – दिल्ली के क्राँति चौक पर राजीव गोस्वामी ने इसके ख़िलाफ़ एक बार फिर आत्मदाह का प्रयास किया.

23 सितंबर 1993 – इलाहाबाद की इंजीनियरिंग की छात्रा मीनाक्षी ने आरक्षण व्यवस्था के विरोध में आत्महत्या की.

20 फरवरी 1994 – मंडल आयोग की रिफारिशों के तहत वी राजशेखर आरक्षण के जरिए नौकरी पाने वाले पहले अभ्यार्थी बने. समाज कल्याण मंत्री सीताराम केसरी ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा.

1 मई 1994 – गुजरात में राज्य सरकार की नौकरियों में मंडल आयोग की सिरफारिशों के तहत आरक्षण व्यवस्था लागू करने का फ़ैसला.

2 सितंबर 1994 – मसूरी के झुलागढ़ इलाके में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में दो महिलाओं समेत छह की मौत, 50 घायल.

प्रदर्शन – लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन चलता रहा

13 सितंबर 1994 – उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित राज्यव्यापी बंद के दौरान भड़की हिंसा में पाँच मरे.

15 सितंबर 1994 – बरेली कॉलेज के छात्र उदित प्रताप सिंह ने आत्महत्या का प्रयास किया.

11 नवंबर 1994 – सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की नौकरियों में 73 फीसदी आरक्षण के कर्नाटक सरकार के फ़ैसले पर रोक लगाई.

साभार: बीबीसी

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अमर शहीद रामफल मंडल जी की प्रतिमा

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल

दिनांक २९ अक्टूबर २०१७ को सीतामढ़ी के बाजपटटी में अमर शहीद रामफल मंडल जी की प्रतिमा पर सेंकडो की संख्या में उपस्थित होकर धानुक बंधुओ ने माल्यार्पण किया और उनका आशीर्वाद लिया तथा संकल्प किया की अब उनकी उपेक्षा को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और सरकार को उन्हें शहीद का दर्जा देना ही पड़ेगा। इसमें खासकर सोशल मीडिया के जितने भी भाई बंधू अमर शहीद रामफल मंडल जी के नाम का प्रचार प्रसार कर रहे है उनका योगदान सराहनीय रहा और पूरा धानुक समाज उन सभी सोशल मीडिया के मित्रो को आभार व्यक्त करता है जिससे यह कार्यक्रम सफल हो सका। जिसमे पुरे देश के अलग अलग क्षेत्रो में अपने अपने काम के सिलसिले में बाहर रहने वाले धानुक भाइयो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया उन सभी को साधुवाद और आगे भी इस तरह के कार्यक्रमों से समाज में सांस्कृतिक तौर पर एकता की मिसाल कायम करने में मदद मिलेगी। उन सबसे अलग स्थानीय तौर पर जितने भी धानुक समाज के लोग है जो किसी ना किसी तौर पर अमर शहीद रामफल मंडल जो को गुमनामी के दौर से निकालकर समाज के सामने लाये है उनका भी योगदान सराहनीय रहा और इसके लिए उन सभी भाइयो का धन्यवाद।

 

इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगो में प्रमुखता से अ.भा.धा.उ.म. के मधुबनी जिला के उपाध्यक्ष से श्री उमानाथ मंडल और युवा विद्यासागर मंडल और मधुबनी जिला से आये सभी धानुक बंधू, दरभंगा से सुशील मंडल और मधवापुर प्रखंड अध्यक्ष श्री परशुराम मंडल जी उनके साथी, दिल्ली से आये बिश्वेसर मंडल, किसन मंडल, देव मंडल, श्याम सुन्दर मंडल उनके साथी आदि, सूरत से आये रवि मंडल, कमलेश मंडल, राजू मंडल, अनिल मंडल, कामेश्वर मंडल, गुड्डू मंडल और उनके साथी आदि तथा सीतामढ़ी से आये गणेश मंडल, नागेन्द्र मंडल, जगदीश मंडल, दीपू मंडल, अशोक मंडल, श्रवण मंडल, गोविन्द मंडल और उनके साथी आदि लोगो ने इस माल्यार्पण कार्यक्रम हिस्सा लिया।

 

सभी साथियो से अनुरोध है की धानुक संपर्क में लगे रहिये और लोगो के बताते रहिये की हमारा भी स्वर्णिम इतिहास है। हमारे बाजुओ में ताकत थी और रहेगी हमारी लेखनी में ताकत थी और रहेगी। इसीलिए इस बात को जितना फैला सकते है फैलाये यही आप सभी से निवेदन है|

 

अंत में कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा इस संकल्प के साथ ली गयी की सरकार के साथ संघर्ष जारी रहेगा तबतक जबतक उनको शहीद का दर्जा नहीं दे दिया जाता है और उनके नाम पर डाक टिकट जारी नहीं कर दिया जाता है।

 

बाद में अमर शहीद रामफल मंडल जी के गाँव जाकर उनके परिवार के कुछ सदस्य जैसे राम विनोद मंडल, अमीरी मंडल तथा सुखारी मंडल आदि से मिलकर तात्कालिक स्थिति के बारे में जानकारी ली गयी। गाँव वालों से बात करने के बाद पता चला की गाँव के लोगो की मांग जो वर्षो से चली आ रही है की गाँव में उनके नाम पर एक स्मृति भवन की मांग को सरकार से मांग पूरी नहीं हुई है। 

अलग अलग जगहों पर धानुक संपर्क के द्वारा लोगो में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है उन सभी की तारीफ़ की जानी चाहिए प्रमुखता से अगर नाम लिया जाए तो दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मधुबनी, दरभंगा, कटिहार, सहरसा, सुपौल, पूर्णियां, मधेपुरा, पटना, खगड़िया, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, छपरा, सिवान, सीतामढ़ी, सूरत श्रीगंगानगर, मुंबई, पुणे, बैंगलोर आदि|

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धानुक समाज का गुरुग्राम में बैठक

धानुक समाज का गुरुग्राम में बैठकदिनांक ३ सितम्बर २०१७ को धानुक समाज का गुरुग्राम में बैठक रखी गयी थी जिसमे अखिल भारतीय धानुक उत्थान महासंघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र मंडल जी भी शामिल हुए और सभा को संबोधित किया और बताया की क्यों हमें एकजुट होने की जरुरत है।

 

कुछ सवाल भी पूछे गए की क्यों धानुक को एकजुट होने के आवश्यकता है और क्यों नहीं हो पा रहे है हम अभी तक क्या क्या कर पा रहे है समाज की एकजुटता के लिए और इसके अलावा हमारा समाज को योगदान क्या क्या है?

 

उमानाथ मंडल जी जो मधुबनी से आये थे उन्होंने बल देकर कहा की हमें एकजुट होने की आवश्यकता है। उन्होंने कुछ उदहारण भी पेश किये जो मधुबनी से ही सम्बंधित था और कहा की वे ऐसा तभी कर पाए जब वे एकजुटता प्रदर्शित कर पाए। अगर उनके अन्दर बिखराव होता तो शायद वे यह नहीं कर पाते। उन्होंने ऐसे अनेको उदाहरण बताये जिससे धानुको के अन्दर एकजुटता साबित करती है। तो वे लगातार कोशिश कर रहे है समाज में एकजुटता लाने की और लोगो को यह बताने की उन्होंने एकजुट होने की आवश्यकता है और हम सबको इस प्रयास में अपना अपना योगदान देना आवश्यक है।

 

कुछ और वक्ताओं ने अपनी अपनी बात रखी जिसमे प्रमुखता से इस बात पर विशेष बल दिया गया की हमारी एकता ही हमारी पहचान है। हमारे समाज में शिक्षा का घोर आभाव है जिसको दूर करने के निरंतर प्रयास करते रहने होंगे और यह एक अकेले के बस की बात नहीं है और हम सबको इकठ्ठा होकर इसमें भागिदार बनना होगा। तभी सम्भव है किसी भी समाज का उत्थान। इस बात पर भी जोड़ दिया गया की हमारे समाज के प्रबुधजनो को समाज में व्याप्त अनेको विषंगतियो को दूर करने के प्रयास करने चाहिए जैसे दहेज़ प्रथा, कम उम्र में शादी, बाल मजदूरी, बीच में पढाई छोड़ देना, लडकियों को लडको के समान अधिकार ना देना, लड़कियों को लडको के समांतर शिक्षा में भागीदार नहीं बनाना। dhanukshaadi.com के माध्यम से विवाह योग्य लड़के लड़कियों को एक प्लेटफ़ॉर्म देना एक सराहनीय कदम है जिससे हमें समाज में दहेज़ मुक्त विवाह को प्रोत्साहन देने में सहायता प्राप्त होगी। dhanukshaadi.com का प्रचार प्रसार गाँव से लेकर शहर तक करना होगा ताकि लोग इसके बारे में जान सके और कुछ लोगो को इससे सहायता प्राप्त हो सके। दिल्ली और राष्ट्रीय क्षेत्र के सभी धानुको को एक प्लेटफार्म की आवश्यकता है ताकि वे अपनी अपनी समस्याओ को लेकर जागरूक हो सके और एक दुसरे की सहायता कर सके।

 

शैलेन्द्र मंडल जी ने समाज को संबोधित करते हुए कहा की समाज में सामाजिक क्रांति जरुरी होता है एकजुटता के लिए और उसकी के फलस्वरूप हमने २३ अगस्त २०१७ को शहीद दिवस के मौके पर देख लिया। जिस तरीके से देश और विदेश के अलग अलग हिस्से में धानुक समाज ने अमर शहीद रामफल मंडल का मनाया है वह अब दिन दूर नहीं की हम अपने आप को एक धानुक कहते हुए गौरव्नवित होंगे। हमारी जाती से भी दो महान विभूति हुए है जिनको दुनिया ने सलाम किया है लेकिन कही ना कही हमारी आपस में एकजुटता नहीं होने की वजह से उन्हें सामाजिक तौर पर वह मान्यत नहीं मिली। फणीश्वर नाथ रेणु जी को पदम् श्री मिलने की वजह से कुछ हद तक लोगो ने माना है लेकिन अमर शहीद रामफल मंडल वर्तमान बिहार के पहले बिहारी धानुक है जिन्होंने १९४२ के स्वंतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान दिया है। हम यहाँ जाती विशेष की बात नहीं करेंगे लेकिन जितने भी शहीदों का नाम हम जानते है सबने अपना अपना योगदान दिया है भारतीय स्वंतंत्रता संग्राम में तो हमारे समुदाय से शहीद रामफल मंडल जी के बारे में कही कोई जानकारी सार्वजानिक रूप से उप्लब्ध नहीं है। इसीलिए हम सबको आगे आना होगा तभी हम उन्हें वो स्थान दिला पाएंगे जिनके वे हक्दार है। सांस्कृतिक क्रांति से पूरा समाज समृध होता है पैसे से एक या दो पीढ़ी का सुधार हो सकता है लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति से पूरा समाज समृध होता है और हमें उसी को ध्यान रखकर आगे बढ़ना होगा।

 

इसीलिए हम आप सभी से आग्रह करते है की आप सभी जहाँ भी जैसे है किसी ना किसी तरह से समाज को समृध बनाने में अपना अपना योगदान अवश्य करे।

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