A leading caste in Bihar & Jharkhand

Archive for the Moral Values Category

सामाजिक समरसता Social Harmony

सामाजिक समरसता के विभिन्न पहलुओं को महात्मा गांधी ने अपने विचारों का विषय बनाया था और उन्होंने अपने लेखन और कर्म से समाज में परिवर्तन को संभव कर दिखाया। सामाजिक समरसता के जाति, धर्म, भाषा, वर्ग, लिंग और श्रम जैसे विषयों पर उन्होंने हमेशा अपनी राय रखी और समाज में परिवर्तन के प्रति अपनी उत्कंठा प्रकट की। अपने समस्त विचारों और कार्यों में उन्होंने सामाजिक समरसता के लिए प्रयास किया। सामाजिक समरसता के अपने प्रयास में उन्होंने अपने अभियान को घृणा, निंदा के आधार पर नहीं अपितु सत्याग्रह के आधार पर चलाया। अपने से इतर का सम्मान एवं आपसी संवाद ही उनका मुख्य साधन रहा। सामाजिक समरसता के वर्तमान प्रयासों में इस दृष्टि का समावेश हमें करना होगा।

एक विकासनशील समाज निरंतर अपने आप को बदलता रहता है और अपनी परंपरा को पुनर्व्याख्यायित करता रहता है तथा नवीन विचारों को अपने पैमानों के आधार पर स्वीकारने की कोशिश करता रहता है। भारतीय समाज ने निरंतर इस प्रक्रिया को स्वीकार किया है। वह एक ओर अपने परंपरागत मूल्यों को आधुनिक संदर्भों में पुनर्व्याख्यायित करता रहा है तो दूसरी ओर वह आधुनिक विमर्शों को भी स्वीकार करता रहा है।

एक सामाजिक व्यक्ति के निर्माण के लिए गाँधी जी ने निम्नलिखित व्रतों की धारणा प्रस्तुत की थी –

  1. सत्य
  2. अहिंसा
  3. ब्रह्मचर्य
  4. अस्तेय
  5. अपरिग्रह
  6. शरीर-श्रम
  7. अस्वाद
  8. अभय
  9. सर्वधर्म समानत्व
  10. स्वदेशी
  11. स्पर्शभावना

ये व्रत व्यक्तिगत गुण ही नहीं बल्कि सामाजिक गुण भी है। इनका जीवन में प्रयोग न केवल व्यक्तिगत रूपांतरण का अपितु सामाजिक रूपांतरण का भी माध्यम बन सकता है। स्वयं गांधीजी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि इनमें से किसी भी एक व्रत का स्वीकार स्वमेव अन्य व्रतों को समाहित करता है। अहिंसा का उनका आग्रह उन्हें न केवल एक अहिंसक व्यक्तित्व बनाता है अपितु अहिंसा को सामाजिक क्षेत्र में लागू करने को भी प्रेरित करता है। व्यक्ति और समाज की संपन्नता एवं उसका सर्वांगीण विकास हेतु मनुष्य को मूलभूत आवश्यकताओं का निर्धारण कर उसकी पूर्ति हेतु अनिवार्यता का विश्लेषण करते रहना चाहिए। गांधीजी का उद्देश्य एक अहिंसक समाज का विकास था। अतएव उन्होंने हर उस प्रथा का, विशेषाधिकार, एकाधिकार का विरोध किया जो किसी भी शोषण, दमन, हिंसा, उत्पीड़न पर आधारित हो।

वे शारीरिक एवं मानसिक श्रम के बीच की खाईं को भी समाप्त करने की बात कहते थे। उन्होंने इस बात को गहराई से देखा और विश्लेषित किया कि समाज लगातार इन दोनों श्रम रूपों में बँटा हुआ है। तात्कालीन शिक्षा व्यवस्था इस खाईं को और चौड़ा करती जा रही है। बौद्धिक तबके द्वारा बहुसंख्यक श्रमशील जनता का तिरस्कार एक अस्वस्थ समाज की निशानी है। अतः वे हर एक व्यक्ति से यह आशा करते हैं कि वह शरीर-श्रम करे। अपने आदर्श समाज में वह यह कल्पना करते हैं कि सभी बौद्धिक वर्ग शरीर-श्रम करेंगे और इसके जरिए अपनी आजीविका कमाएँगे।

इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए गांधी जी एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था की व्यवस्था चाहते हैं, जिसमे स्थानीय हस्तकला, शिल्प उद्योग के जरिए शिक्षा देने का प्रावधान किया गया था। इसका तात्पर्य था कि शिक्षा में श्रमशील जनता के अनुभव का प्रवेश हो साथ ही शिक्षार्थी एक अमूर्त समाज के स्थान पर मूर्त समाज की समस्याओं, अनुभवों से शिक्षा प्राप्त कर सके। यह शिक्षा व्यवस्था उसे शिक्षित होने के बाद अपने समाज से न तो काटती है और न ही श्रमशील समाज को हेय दृष्टि से देखना सिखाती है।

गांधीजी ने भारतीय समाज के एक और भेद को अपने विचार का विषय बनाया, वह है – ग्रामीण-शहरी का भेद। उनके लिए भारत का अर्थ ही है – सात लाख गाँव। वह तात्कालिक समय में विद्यमान गाँवों को वैसा ही नहीं रहना देना चाहते हैं अपितु गाँवों को सामाजिक पुनर्रचना का आधार बनाते हुए उनमें क्रांतिकारी बदलाव चाहते हैं। गाँवों में विद्यमान विभिन्न समस्याओं – अस्वच्छता, छुआछूत, अशिक्षा, बेरोजगारी आदि में व्यापक बदलाव लाना चाहते हैं। उनकी इच्छा है कि शहर गाँवों का शोषण करना बंद कर दे।

इसे उनकी सामाजिक आचार संहिता भी कहा जा सकता है। इसके साथ ही गांधीजी सामाजिक समरसता के लिए रचनात्मक कार्यक्रम भी प्रस्तुत करते हैं –

  1. कौमी एकता
  2. अस्पृश्यता-निवारण
  3. शराबबंदी
  4. खादी
  5. दूसरे ग्रामोद्योग
  6. गाँवों की सफाई
  7. नई या बुनियादी तालीम
  8. बड़ों की तालीम
  9. स्त्रियाँ
  10. आरोग्य के नियमों की शिक्षा
  11. प्रांतीय भाषाएँ
  12. राष्ट्रभाषा
  13. आर्थिक समानता
  14. किसान
  15. मजदूर
  16. आदिवासी
  17. कोढ़ी
  18. विद्यार्थी

साधारण से प्रतीत होने वाले रचनात्मक कार्यक्रम समाज की पुनर्रचना के आधार थे। रचनात्मक कार्यक्रम के जरिए गांधीजी भारतीयों को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तौर पर नई दिशा की ओर उन्मुख करना चाह रहे थे जिससे वे न केवल ब्रिटिश सत्ता से मुक्त हो सकें अपितु हिंसक आधुनिक सभ्यता के पाश से भी छूट सकें। रचनात्मक कार्यक्रम अहिंसात्मक सिद्धांतों पर समाज में बदलाव का एक सर्वांगीण दृष्टिकोण है।

अतः यह हमारा कर्तव्य है कि हम हमारे समय की इन समस्याओं को दूर करने हेतु गांधीजी जैसे विचारकों के प्रयासों को फलीभूत करने करने का प्रयास करें।

Like to share it

Think about future

Think about future

Think about future

Dhanuk Shaadi – Matrimonial Services (Free Registration)

नमस्कार,
Think about future – काफी दिनों से एक बात शेयर करना चाह रहा था की हर व्यक्ति चाहता है की उसकी जिंदगी सुखमय हो और उसके आस पास वाले भी सुखमय जिंदगी व्यतीत करे। लेकिन क्या आपने सोचा है अगर आप आगे बढ़ते है तो स्वाभाविक है आपके अपने परिवार के लोग भी किसी ना किसी तरह से आगे जरुर बढ़ रहे होंगे। इस रफ़्तार से हमारी जाती कितना आगे बढ़ पायेगी क्या आपने सोचा है।? हर कोई अपने में मग्न है किसी दुसरे से कोई मतलब नहीं है कुछ मुठ्ठी भर लोग जो समाज को अपने अपने हिसाब से किसी भी तरह की सहायता करता है या कर रहा है तो हम सबको हर संभव उसकी सहायता करनी चाहिए। लेकिन शायद हम इस उलझन में लगे हुए है हम तो अपने जीवन के उलझनों को सुलझा नहीं सकते तो दुसरो की क्या सुलझा पाएंगे। आप छोटी छोटी बातो के बारे में सोचना शुरू कीजिये जो आपको हिम्मत देगा की इस दुनिया में कोई और भी है जो हमेशा दुसरो के लिए खड़े होते है।

मेरे कॉलेज के दिनों के एक सीनियर है जो खुद पिछड़ी जाती और नालंदा से आते है आजकल दिल्ली में ही रहते है और उन्होंने एक फेसबुक ग्रुप बनाया है “माहुरी चौपाल” के नाम से जिसको आज २७ हजार से ऊपर के लोग इसके सदस्य है मैं आपको यह बात क्यों बता रहा हूँ इसीलिए बता रहा हूँ क्योंकि ये जिस समाज से आते है इनकी गिनती कुछ लाख है पुरे भारत वर्ष में लेकिन एक फेसबुक ग्रुप जो फ्री में बनाया जा सकता है जिसका उपयोग कर इन्होने सेकड़ो जोड़ो की शादी करवाई है जिसके बारे में “zee news” पर “आपके न्यूज़” प्रोग्राम में दिखाया भी गया था।

मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ की आज तक मुझे यह सुनना पड़ता था की हमारे समाज के शादी के लिए कोई वेबसाइट नहीं या कोई ऐसा शादी वेबसाइट नहीं जिसमे धानुक एक जाती के रूप में हो। कही नहीं मिलेगा आपको चाहे आप किसी भी बड़ी से बड़ी वेबसाइट को देख ले। लोग मुझे फ़ोन तो करते है की एक लड़की/लड़का चाहिए। लेकिन जब आप उनसे वेबसाइट पर रजिस्टर करने को कहे तो जैसे सांप सूंघ जाता है मैं किसी का मखौल नहीं उड़ा रहा हूँ। मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ की चाहे कोई भी हो अगर किसी तरीके से समाज के बारे में थोड़ी से सहायता करना चाहता है। आपलोगों को उसकी सहायता करनी चाहिए जबकि इस वेबसाइट को पूरी तरह से फ्री रखा गया है इसमें ना रजिस्टर में किसी तरह का पैसा लगता है ना ही किसी का प्रोफाइल देखने में पैसे लिए जाते है। और आपका डाटा पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि बिना रजिस्टर हुए कोई भी किसी दुसरे का संवेदनशील डाटा नहीं देख सकता है। और ऐसा नहीं है कोई भी आया और रजिस्टर हो गया रजिस्टर तो जायेंगे लेकिन आप लॉग इन नहीं कर पाएंगे क्योंकि आपको ईमेल के साथ साथ मोबाइल भी वेरीफाई करवाना पड़ता है तभी आपका अकाउंट एक्टिव हो पायेगा और आप लॉग इन कर पाएंगे। जबकि किसी भी शादी के वेबसाइट को देखेंगे तो आपको कुछ ना कुछ पैसे देने पड़ेंगे लेकिन पिछले एक साल में हमने मुश्किल कुछ एक लोग को जोड़ पाए फिर हम कहते फिरते है की कोई कुछ करना ही नहीं चाहता है। कोई भी थोड़ी से सहायता क्यों करना चाहेगा जब आप उसके साथ कम से कम कदम मिलाकर नहीं चल सकते है तो जब आपको या आपके परिवार में किसी को सहायता की जरुरत पड़ेगी तो कोई क्यों आगे आएगा।

सोचिये गंभीरता पूर्वक सोचने की आवश्यकता है अगर आप अकेले कुछ करना चाहता है तो सामाजिक कार्यो को सफल करना मुश्किल है। लेकिन अगर आप कुछ न कुछ सभी मिल्लकर करेंगे तो जरूर भला कर पाएंगे।

हम सब आपस में कितने ही ग्रुप में शामिल होते है सेकड़ो मेसेज को प्रतिदिन देखते और पढ़ते है लेकिन जब धानुक जाती या उससे जुड़ी किसी भी तरह के ग्रुप में हमें जोड़ा जाता है तो हम वहां से बाहर हो जाते है। क्या आपने कभी सोचा है ऐसे ही किसी ग्रुप की वजह से आपके बच्चो की शादी या आपको या आपके किसी परिवार में किसी को खून की आवश्यकता होती है तो दूर से कोई व्यक्ति अपने व्यक्ति को फ़ोन कर आपकी सहायता करने को कहता और वह कर भी देता है क्यों क्योंकि कही ना कही वह आपके जानने वाले के ऊपर विश्वास कर आपकी सहायता करता यह सोचकर नहीं की कल आप करेंगे यह सोचकर की उसके जानने वाले ने ऐसा करने को कहा है इसी को मानवीय संवेदना कहते है अगर आप इसको अपने अन्दर महसूस नहीं कर पाते है तो आपको अपने ऊपर सोचने की आवयश्यकता है। मैं किसी तरह का आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ सोचियेगा जरुर अगर अच्चा लगे तो अपने संबंधियों को शेयर जरुर कीजियेगा। यहाँ क्लिक करके आप वेबसाइट देख सकते है। https://goo.gl/gKodHo
धन्यवाद
शशि धर कुमार

Like to share it

शिक्षा का महत्व और उसकी भूमिका

शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है सफल और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए।

सफलता और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए शिक्षा का महत्व

सामाजिक उत्थान में शिक्षा का महत्व और उसकी भूमिका

शिक्षा सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सफलता और सुखी जीवन प्राप्त करने के लिए जिस तरह स्वस्थ्य शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह ही उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए यह बहुत आवश्यक है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करके, शारीरिक और मानसिक मानक प्रदान करती है और लोगों के रहने के स्तर को परिवर्तित करती है। यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से अच्छा होने के साथ ही बेहतर जीवन जीने के अहसास को बढ़ावा देती है। अच्छी शिक्षा की प्रकृति रचनात्मक होती जो हमेशा के लिए हमारे भविष्य का निर्माण करती है। यह एक व्यक्ति को उसके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्तर को सुधारने में मदद करती है। यह हमें बहुत से क्षेत्रों का ज्ञान प्रदान करके बहुत सा अत्मविश्वास प्रदान करती है। यह सफलता के साथ ही व्यक्तिगत विकास का भी एकल और महत्वपूर्ण मार्ग हैं। शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है सफल और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए।
 
जितना अधिक हम अपने जीवन में ज्ञान प्राप्त करते हैं, उतना ही अधिक हम अपने जीवन में वृद्धि और विकास करते हैं। अच्छे पढ़े-लिखे का मतलब केवल यह कभी नहीं होता कि प्रमाण पत्र और प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त संगठन या संस्था में नौकरी प्राप्त करना, हालांकि इसका यह भी अर्थ होता है जीवन में अच्छे और सामाजिक व्यक्ति होना। यह हमें हमारे लिए और हम से संबंधित व्यक्तियों के लिए क्या सही है और क्या गलत है को निर्धारित करने में मदद करता है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का सबसे पहला उद्देश्य अच्छे नागरिक बनना और उसके बाद व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफल व्यक्ति बनना होता है। हम बिना अच्छी शिक्षा के अधूरे हैं क्योंकि शिक्षा हमें सही सोचने वाला और सही निर्णय लेने वाला बनाती है। इस प्रतियोगी दुनिया में, शिक्षा मनुष्य की भोजन, कपड़े और आवास के बाद प्रमुख अनिवार्यता बन गयी है। यह सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान प्रदान करने में सक्षम है: यह भ्रष्टाचार, आतंकवाद, हमारे बीच अन्य सामाजिक मुद्दों के बारे में अच्छी आदत डालने और जागरुकता को बढ़ावा देती है।
 
शिक्षा एक व्यक्ति के लिए आन्तरिक और बाह्य ताकत प्रदान करने का सबसे महत्वपूर्ण यंत्र है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और किसी भी इच्छित बदलाव और मनुष्य के मस्तिष्क व समाज के उत्थान में सक्षम है।
 

About DhanukShaadi.com

Contributor

Dhanuk Shaadi – Matrimonial Services (Free Registration)

Please visit us at Dhanuk Shaadi Dhanuk Marriage matrimonial website. It is completely free for all no charges. Please help us to grow for all our dhanuk caste only.
 
Dhanuk/Kurmi Shaadi the leading Dhanuk/Kurmi Matrimony service provider for the Dhanuk/Kurmi caste has the presence in all over India. We are here to help to find a better match for tomorrow. Please help us to make our community #DowryFree.
 
We are completely against the #Dowry and this is first step to make our community #DowryFree.

Like to share it

Address

Bihar, Jharkhand, West Bengal, Delhi, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, Haryana, Rajasthan, Gujrat, Punjab, India
Phone: +91 (987) 145-3656