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Archive for the Social Issues Category

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Active Social Media Platforms for Dhanuks

Social Media Platformsहमारा उद्देश्य:-
-: सामाजिक एकता :-
-: शिक्षा :-
-: दहेज़ मुक्त समाज और सामूहिक विवाह :-
-: महिला सशक्तिकरण :-
-: रोजगार :-
-: नशा मुक्त समाज :-
-: सामाजिक सहायतार्थ कार्य :-
 
आपलोगों किसी भी तरीके से जानकारी प्राप्त कर सकते है। सबकी जानकारी आपलोग अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म से प्राप्त कर सकते है:
 
Facebook Groups:
अमर शहीद रामफल मंडल – https://www.facebook.com/groups/118178531971111/
Dhanuk Job Helpline – धानुक नौकरी सहायता केंद्र – https://www.facebook.com/groups/1774969486108826/
फणीश्वर नाथ रेणू (आंचलिक उपन्यासकार) – https://www.facebook.com/groups/842703745864359/
 
Facebook Pages:
अखिल भारतीय धानुक उत्थान महासंघ – अभाधाउम – https://www.facebook.com/akhilbhartiyadhanukutthanmahasangh/
भारतीय धानुक समाज – https://www.facebook.com/dhanuksamaj/
निशुल्क धानुक शादी – Free Dhanuk Matrimonial – https://www.facebook.com/dhanukshaadi/
धानुक समाज – बिहार – https://www.facebook.com/dhanuksamajbihar
Dhanuk Job Helpline – धानुक नौकरी सहायता केंद्र- https://www.facebook.com/dhanukjobhelpline
अमर शहीद रामफल मंडल – https://www.facebook.com/amarshaheedramfalmandal/
 
Website:
निशुल्क धानुक शादी वेबसाइट – https://www.dhanukshaadi.com
धानुक वेबसाइट – https://www.dhanuk.com
 
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आप कही पर भी जान पहचान का विवाह योग्य लड़के लड़कियां है। उन्हें https://www.dhanukshaadi.com/ यहाँ रजिस्टर करने कहिये। इसे हम सबको मिलकर आगे बढ़ाना है। फ्री है किसी भी तरह का कोई फीस भी नहीं है।
 

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल जी का जन्म आज के सीतामढ़ी जिला के बाजपट्टी थाणे के अन्दर मधुरापुर गाँव में ६ अगस्त १९२४ को श्री गोखुल मंडल और गरबी मंडल के घर पैदा हुए थे। ऐसा लगता था वे जन्मजात एक पहलवान थे जिसकी वजह से पुरे गाँव में अपने नाम के बजाय पहलवान जी के नाम से जाने जाते थे। इसी वजह से जब पुरे देश में भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिए थे इसी क्रम में 24 अगस्त 1942 को बाज़पट्टी चौक पर अंग्रेज सरकार के तत्कालीन सीतामढ़ी अनुमंडल अधिकारी हरदीप नारायण सिंह, पुलिस इंस्पेक्टर राममूर्ति झा, हवलदार श्यामलाल सिंह और चपरासी दरबेशी सिंह को गड़ासा से काटकर हत्या की थी क्योंकि उनपर पुरे गाँव को आग में झोंकने का आरोप था।
 
कैद में लेने के बाद अंग्रेजी सरकार ने उन्हें भागलपुर केंद्रीय कारागार भेज दिया जहाँ उनके ऊपर मुकदमा संख्या – 473/42 दर्ज की गयी और भागलपुर केंद्रीय कारागार में जज माननीय सी आर सैनी जी के न्यायलय में सुनवाई शुरू हुई। दिनांक 15 जुलाई को कांग्रेस कमिटी बिहार प्रदेश में रामफल मंडल एवं अन्य के सम्बन्ध में एसडीओ, इंस्पेक्टर एवं अन्य पुलिस कर्मियों की हत्या के आरोपो पर चर्चा की गयी। जिसके फलस्वरूप बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति पटना के आग्रह पर गांधी जी ने रामफल मंडल और अन्य आरोपियों के बचाव पक्ष में क्रांतिकारियों का मुकदमा लड़नेवाले देश के जाने माने बंगाल के वकील सी.आर.दास और पी.आर.दास दोनों भाइयों को भागलपुर भेजा। दिनांक 12 अगस्त 1943 को पहली सुनवाई शुरू हुई थी। आखिरी सुनवाई के बाद जज ने फांसी की सजा दी और उनके लिए फाँसी की तिथि – दिनांक 23 अगस्त 1943 मुक़र्रर की जिसको केंद्रीय कारागार भागलपुर में भी दे दी गयी।
 

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Dhanuk Shaadi - Matrimonial Services

Dhanuk Shaadi – Matrimonial Services (Free Registration)

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शिक्षा का महत्व और उसकी भूमिका

शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है सफल और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए।

सफलता और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए शिक्षा का महत्व

सामाजिक उत्थान में शिक्षा का महत्व और उसकी भूमिका

शिक्षा सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सफलता और सुखी जीवन प्राप्त करने के लिए जिस तरह स्वस्थ्य शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह ही उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए यह बहुत आवश्यक है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करके, शारीरिक और मानसिक मानक प्रदान करती है और लोगों के रहने के स्तर को परिवर्तित करती है। यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से अच्छा होने के साथ ही बेहतर जीवन जीने के अहसास को बढ़ावा देती है। अच्छी शिक्षा की प्रकृति रचनात्मक होती जो हमेशा के लिए हमारे भविष्य का निर्माण करती है। यह एक व्यक्ति को उसके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्तर को सुधारने में मदद करती है। यह हमें बहुत से क्षेत्रों का ज्ञान प्रदान करके बहुत सा अत्मविश्वास प्रदान करती है। यह सफलता के साथ ही व्यक्तिगत विकास का भी एकल और महत्वपूर्ण मार्ग हैं। शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है सफल और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए।
 
जितना अधिक हम अपने जीवन में ज्ञान प्राप्त करते हैं, उतना ही अधिक हम अपने जीवन में वृद्धि और विकास करते हैं। अच्छे पढ़े-लिखे का मतलब केवल यह कभी नहीं होता कि प्रमाण पत्र और प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त संगठन या संस्था में नौकरी प्राप्त करना, हालांकि इसका यह भी अर्थ होता है जीवन में अच्छे और सामाजिक व्यक्ति होना। यह हमें हमारे लिए और हम से संबंधित व्यक्तियों के लिए क्या सही है और क्या गलत है को निर्धारित करने में मदद करता है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का सबसे पहला उद्देश्य अच्छे नागरिक बनना और उसके बाद व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफल व्यक्ति बनना होता है। हम बिना अच्छी शिक्षा के अधूरे हैं क्योंकि शिक्षा हमें सही सोचने वाला और सही निर्णय लेने वाला बनाती है। इस प्रतियोगी दुनिया में, शिक्षा मनुष्य की भोजन, कपड़े और आवास के बाद प्रमुख अनिवार्यता बन गयी है। यह सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान प्रदान करने में सक्षम है: यह भ्रष्टाचार, आतंकवाद, हमारे बीच अन्य सामाजिक मुद्दों के बारे में अच्छी आदत डालने और जागरुकता को बढ़ावा देती है।
 
शिक्षा एक व्यक्ति के लिए आन्तरिक और बाह्य ताकत प्रदान करने का सबसे महत्वपूर्ण यंत्र है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और किसी भी इच्छित बदलाव और मनुष्य के मस्तिष्क व समाज के उत्थान में सक्षम है।
 

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मंडल रिपोर्ट : कब क्या हुआ

मंडल रिपोर्ट : कब क्या हुआ20 दिसंबर 1978 – सामाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की समीक्षा के लिए मोरारजी देसाई सरकार ने बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की. यह मंडल आयोग के नाम से चर्चित हुआ.

1 जनवरी 1978 – आयोग के गठन की अधिसूचना जारी.

दिसंबर 1980 – मंडल आयोग ने गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह की रिपोर्ट सौंपी. इसमें अन्य पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश.

1982 – रिपोर्ट संसद में पेश.

1989 – लोकसभा चुनाव में जनता दल ने आयोग की सिफारिशों को चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया.

7 अगस्त 1990 – विश्वनाथ प्रताप सिंह ने रिपोर्ट लागू करने की घोषणा की.

9 अगस्त 1990 – विश्वनाथ प्रताप सिंह से मतभेद के बाद उपप्र्धानमंत्री देवीलाल ने इस्तीफ़ा दिया.

10 अगस्त 1990 – आयोग की सिफारिशों के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था करने के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू.

13 अगस्त 1990 – मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने की अधिसूचना जारी.

14 अगस्त 1990 – अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चे के अध्यक्ष उज्जवल सिंह ने आरक्षण प्रणाली के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

19 सितंबर 1990 – दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एसएस चौहान ने आरक्षण के विरोध में आत्मदाह किया. एक अन्य छात्र राजीव गोस्वामी बुरी तरह झुलस गए.

17 जनवरी 1991 – केंद्र सरकार ने पिछड़े वर्गों की सूची तैयार की.

वीपी सिंह – वीपी सिंह सरकार ने आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने की घोषणा की थी

8 अगस्त 1991 – रामविलास पासवान ने केंद्र सरकार पर आयोग की सिफ़ारिशों को पूर्ण रूप से लागू करने में विफलता का आरोप लगाते हुए जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. पासवान गिरफ़्तार किए गए.

25 सितंबर 1991 – नरसिंह राव सरकार ने सामाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान की. आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत करने का फ़ैसला. इसमें ऊँची जातियों के अति पिछड़ों को भी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया.

24 सितंबर 1990 – पटना में आरक्षण विरोधियों और पुलिस के बीच झड़प. पुलिस फायरिंग में चार छात्रों की मौत.

25 सितंबर 1991 – दक्षिण दिल्ली में आरक्षण का विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस फायरिंग में दो की मौत.

1 अक्टूबर 1991 – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आरक्षण के आर्थिक आधार का ब्यौरा माँगा.

2 अक्टूबर 1991 – आरक्षण विरोधियों और समर्थकों के बीच कई राज्यों में झड़प. गुजरात में शैक्षणिक संस्थान बंद किए गए.

10 अक्टूबर 1991 – इंदौर के राजवाड़ा चौक पर स्थानीय छात्र शिवलाल यादव ने आत्मदाह की कोशिश की.

30 अक्टूबर 1991 – मंडल आयोग की सिफारिशों के ख़िलाफ़ दायर याचिका की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह मामला नौ न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया.

17 नवंबर 1991 – राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और उड़ीसा में एक बार फिर उग्र विरोध प्रदर्शन. उत्तर प्रदेश में एक सौ गिरफ़्तार. प्रदर्शनकारियों ने गोरखपुर में 16 बसों में आग लगाई.

सुप्रीम कोर्ट – सुप्रीम कोर्ट ने भी मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की अनुमति दे दी थी

19 नवंबर 1991 – दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में पुलिस और छात्रों के बीच झड़प. लगभग 50 लाख घायल. मुरादाबाद में दो छात्रों ने आत्मदाह का प्रयास किया.

16 नवंबर 1992 – सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसले में मंडल आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने के फ़ैसले को वैध ठहराया. साथ ही आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत रखने और पिछड़ी जातियों के उच्च तबके को इस सुविधा से अलग रखने का निर्देश दिया.

8 सितंबर 1993 – केंद्र सरकार ने नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण देने की अधिसूचना जारी की.

20 सितंबर 1993 – दिल्ली के क्राँति चौक पर राजीव गोस्वामी ने इसके ख़िलाफ़ एक बार फिर आत्मदाह का प्रयास किया.

23 सितंबर 1993 – इलाहाबाद की इंजीनियरिंग की छात्रा मीनाक्षी ने आरक्षण व्यवस्था के विरोध में आत्महत्या की.

20 फरवरी 1994 – मंडल आयोग की रिफारिशों के तहत वी राजशेखर आरक्षण के जरिए नौकरी पाने वाले पहले अभ्यार्थी बने. समाज कल्याण मंत्री सीताराम केसरी ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा.

1 मई 1994 – गुजरात में राज्य सरकार की नौकरियों में मंडल आयोग की सिरफारिशों के तहत आरक्षण व्यवस्था लागू करने का फ़ैसला.

2 सितंबर 1994 – मसूरी के झुलागढ़ इलाके में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में दो महिलाओं समेत छह की मौत, 50 घायल.

प्रदर्शन – लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन चलता रहा

13 सितंबर 1994 – उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित राज्यव्यापी बंद के दौरान भड़की हिंसा में पाँच मरे.

15 सितंबर 1994 – बरेली कॉलेज के छात्र उदित प्रताप सिंह ने आत्महत्या का प्रयास किया.

11 नवंबर 1994 – सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की नौकरियों में 73 फीसदी आरक्षण के कर्नाटक सरकार के फ़ैसले पर रोक लगाई.

साभार: बीबीसी

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