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महिला सशक्तिकरण से धानुक समाज में क्या तात्पर्य है

महिला सशक्तिकरण से धानुक समाज में क्या तात्पर्य है

महिला सशक्तिकरण से धानुक समाज में क्या तात्पर्य है

महिला सशक्तिकरण से धानुक समाज में क्या तात्पर्य है? और इससे महिला सशक्तिकरण का मतलब है वह सब अधिकार सामान रूप से महिलाओं के लिए भी है जो समाज में पुरुषों को मिला है। अब सवाल उठता है इसका मतलब यह हुआ की समाज में पुरुष जो कर सकते है उसका सामान अधिकारी महिला को भी माना गया है संविधान में। यहाँ तक की पुराणों और ग्रंथो में भी महिलाओं का स्थान ऊपर है पुरुषों से।

 

लेकिन समाज की क्या परिभाषा है महिलाओं के बारे में यह जानना आवश्यक है और उसको समझना जरूरी है। हमारे समाज या किसी भी समाज में भारत के सन्दर्भ में महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है जिसको आप कह सकते है वे सिर्फ घर सँभालने तक सिमित रह गयी है। ऐसा नहीं है घर संभालना आसान काम है इसको समझने के लिए मैं समाज के पुरुषों से आग्रह करता हूँ की एक दिन अपने घर की महिलाओं को छुट्टी देकर देखे फिर आपको पता चलेगा कितना मेहनत का काम है। यह उतना ही दुरूह काम है जितना एक मर्द द्वारा बच्चे पैदा करने का समान है।

 

लेकिन हमारे समाज के पुरुषों की यह सोच महिलाये सिर्फ घरेलु कामों के लिए है तो यह सोच को बदलने की आवश्यकता है जिसके बिना हमारा समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। समाज में स्त्री और पुरुष गाड़ी के दो पहियों की तरह है अगर एक भी इधर से उधर या छोटा बड़ा हुआ गाड़ी डगमगा जायेगी। स्त्री और पुरुष दोनों नदी के दोनों छोड़ो की तरह है जहाँ एक बिना नदी का अस्तित्व खतरे में है। उसी तरह कही ऐसा ना हो हमारा समाज खतरे में ना पड़ जाए। तो वास्तव में जागना होगा हमें और यही सही समय है।

 

कैसे महिला सशक्तिकरण हो यह बड़ा सवाल है। जिसके लिए मैं अपनी तरफ से निम्नलिखित बातो पर अपने अपने तौर पर व्यक्तिगत जीवन में छोटी छोटी चीजो के ऊपर काम करे तो एक बेहतर समाज बनकर उभर सकते है:
1) अपने घर में महिलाओं का सम्मान करना सीखें चाहे वह छोटी हो या बड़ी।
2) अपने घर की महिलाओं को किसी भी बड़े निर्णय में उनकी राय जरूर मांगे। जैसे हम किसी भी बड़े पूजा पर अपनी पत्नी को अपनी दाहिनी तरफ बिठाते है। यह बड़ी बात है आपके दाहिनी ओर आपकी पत्नी बैठती है। इसको यही तक सिमित ना रखे।
3) अपने बच्चियों के शिक्षा पर ध्यान दे चाहे बेटा हो या बेटी दोनों को समान शिक्षा का अधिकार दे।
4) आस पास की महिलाओं चाहे वे आपके घर आते हो या नहीं उनको सम्मान दे अगर आप ऐसा करेंगे तो आपके बच्चे भी वही सीखेंगे।
5) अपने समाज में सम्मानित महिलाओं का सम्मान करने से ना चुके चाहे कोई भी मौका हो। जब हमारी बेटी हमसे बड़ा काम करती है तो ढिंढोरा पीटने से बाज़ नहीं आते है तो अगर हमारी पत्नी कुछ बड़ा काम करे तो शर्म कैसी ढिंढोरा पीटने में।
6) अपनी बेटियों को बताये जितना हक़ आपके ऊपर आपके बेटे का है उतना ही हक़ आपकी बेटी का भी। बेटी जब बड़ी होने लगती है तो यह जताना शुरू कर देते है कि तू तो बेटी है शादी होते ही हमें छोड़ चली जायेगी। ऐसा कहना बंद करे इससे वह मानसिक संतप्त में रहती है।
7) बेटियां जो भी करना चाहे उसे करने की आज़ादी दे ना की बंधन में बांधे। अगर उसे बांधना ही है तो अपने संस्कारो की पोटली से बांधे। आप देखेंगे कि वह आपके बेटे से ज्यादा आपके संस्कारो को आगे तक ले जाने में सक्षम है।
8) बेटियों को सर का ताज समझे ना की बोझ, आप जितना जल्दी यह समझेंगे उतनी जल्दी आपको पता चलेगा कि बेटी आपके सब दुखो का निवारण करने में सक्षम है।
9) बेटियों को अपने भविष्य के बारे में सोचने का पूरा हक दे। उन्हें सलाह अवश्य दे, अवश्य अच्छा बुरा बताये लेकिन एक दायरे तक। मैं तो कहूंगा कि यह हमारे बिहारियों में कूट कूट कर भरी हुई है कि हम अपने बच्चों को हम जो चाहते है वही करवाना चाहते है वह नहीं होना चाहिए उन्हें भी अपने बारे में सोचने का मौका दे।
10) हमारी संस्कृति है कि 16 के होते ही बेटी की शादियों की चिंता करने लग जाते है। चिंता करना लाजिमी है करे लेकिन उन्हें कुछ करने का मौका तो दे पहले।

 

यह अपने अनुभव के आधार पर जो सामाजिक परिदृश्य देखा है वही बयां किया गया है किन्ही को कुछ लग रहा हो की सुधार की आवश्यकता है तो मैं उनसे अवश्य अपेक्षा करूँगा।

धन्यवाद।

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शहीद रामफल मंडल जी का शहादत समारोह

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल जी के शहादत समारोह कार्यक्रम

दिनांक 23 अगस्त 2016 को भारतीय नृत्य केंद्र, नजदीक रेडियो स्टेशन, पटना में अमर शहीद रामफल मंडल जी के शहादत समारोह कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ, जिसमे सभी गणमान्य अथितियों ने अपनी अपनी बात रखी। जो भी इस समाज के प्रतिनिधी आये इस समारोह में और जो नहीं आ पाए उन सभी का हार्दिक अभिनंदन। आशा करते है आप सभी का पटना आना एक सफल शुरुआत होगी धानुक समाज को एकत्र करने में और आपके इस सहयोग को महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में आने वाले कल में याद किया जाएगा।

 

समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी अपनी बात रखी जिनसे यह तो पता चलता है कि अभी तक इस समाज का हर प्रकार से दोहन हुआ है चाहे राजनैतिक हो या सामाजिक दोहन लेकिन हुआ है और इसका मुख्य कारण यह निकलकर सामने आया की इसकी मुख्य वजह सिर्फ और सिर्फ हमारा सामाजिक एकता नही होना। तो सभी की तरफ से इस बात पर जोड़ दिया गया कि हमें एक सूत्र और हमारी एकता हमारे समाज के लिए जरुरी है। कुछ प्रतिनिधियों ने शिक्षा पर जोड़ देकर कहा कि हमारे समाज की शैक्षणिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण हमारी यह हालत है तो हमें शिक्षा की ओर ध्यान देकर इस समाज के लोगो को शैक्षणिक स्तर पर उठाने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ प्रतिनिधियों ने इस बात पर भी बल दिया की हमारी यह लड़ाई राजनैतिक स्तर पर भी जारी रहनी चाहिए ताकि हमारे इस मुहीम को और मजबूती मिल सके।

 

अंत में बिहार प्रदेश के अध्यक्ष् श्री शैलन्द्र मंडल जी ने युवाओं को अधिक अधिक से इस मुहीम से जोड़कर ही हम इस मुहीम को सफल बना सकते है क्योंकि धानुक समाज की लगभग आधी जनसंख्या युवाओं की है और यही युवा हमें हमार समाज में फैलीे कुरीतियों से हमें निजात दिला सकते है। जरुरत है उनकी कार्यक्षमता को पहचानने की और उनपर विश्वास जगाने की ताकि यही युवा आगे चलकर इस समाज के कर्णधार बनकर उभरे। उन्होंने धानुको की लड़ाई को अस्तित्व की लड़ाई कहा जहाँ हमारी जाती को सरकारी तौर पर वह स्थान नहीं मिला जिसकी वह हक़दार है।

 

मौके पर सहकारिता मंत्री आलोक मेहता,शैलेंद्र कुमार मंडल,नारायण सिंह केसरी,डॉ.दाउद अली,रामश्रेष्ठ दीवाना,डॉ.नूर हसन, शीला शैल, रामप्रीत मंडल, बलराम मंडल आदि ने भी विचार रखे। मौके पर रामफल मंडल की गाथा पुस्तक का विमोचन किया गया उनके नाम पर पुरस्कार की घोषणा की गई।

 

कार्यक्रम से सम्बंधित कुछ तस्वीरें जो विभिन्न स्रोतों से हासिल की गयी:

फ़ोटो क्रेडिट: अजय देव, डॉ भवेश, अमरजीत, इनरदेव आदि।

 

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शिक्षा का महत्व या एक जरुरत

धानुक समाज: शिक्षा का महत्व या एक जरुरत

धानुक समाज:शिक्षा की जरुरत

धानुक समाज: शिक्षा का महत्व या एक जरुरत

धानुक समाज: शिक्षा का महत्व या एक जरुरत

हमारे समाज में शिक्षा एक सबसे बड़ी समस्या है जबतक हम उसपे काबू नहीं पा लेते है तबतक समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। समाज में शिक्षा की भारी कमी है जिसमे हम अभी तक अपने आप को जोड़ नहीं पाए। हर कोई समाज के लिए बात करता है लेकिन मुझे लगता है समाज में जबतक इस बात की जागरूकता नहीं फैलेगी की समाज आखिर बढ़ेगा कैसे तो इन ढेर सारी बातों पर बात करना बेमानी होगा।

शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जो हमें अपना स्थान समाज के अग्र पंक्ति में दिला सकता है। शिक्षा के बिना हमारे समाज का स्थान चिन्हित नहीं किया जा सकता है। उसको चिन्हित करने के लिए हमें शिक्षा पर जोड़ देना जरूरी है। मैं तो व्यक्तिगत तौर पर कहूँगा की हम कसम खाये की आज जो भी हो हम अपने बच्चों को पढ़ाएंगे तबतक जबतक वह अपना जीवन को ऐसे पथ पर ना ले आये जहाँ से वह ना सिर्फ अपनी ज़िन्दगी और परिवार के साथ साथ समाज में भी अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दे।

आप सभी से सहयोग की अपेक्षा है की हम अपने समाज में शिक्षा की ज्योति कैसे जलाये आप सभी से सुझाव देने का आमंत्रण दिया जाता है। हमारा सुझाव है कि हमें प्रखंड स्तर पर शिक्षा को शुरू करने के लिए क्या किया जाए ताकि हम अपने समाज में आखिरी पंक्ति में बैठे उस विद्यार्थी तक शिक्षा का जोत जला सके जो वाकई में पढ़ लिखकर कुछ करना चाहता है। हमारा उद्देश्य हर उस विद्यार्थी की शिक्षा को महत्व देना है जिसके अंदर वाकई में कुछ कर गुजरने की क्षमता है और आगे चलकर समाज को आगे ले जाने में सहायक हो। समाज में ऐसे मेधावी छात्रों की कमी नहीं है कमी है तो बस उसे निखारने की वह अपने आप को पहचाने और समाज को आगे ले जाने में अपना सहयोग दे सके।

हमारे समाज में कई ऐसे धुरंधर है जो अपने अपने क्षेत्र में महारत हासिल किये हुए है जरुरत है उन लोगो को समाज में आगे लाकर उनको सामाजिक सहयोग के लिए मजबूर करना ताकि वे आगे आये और अपने समाज को अपने अपने क्षेत्र के अनुसार भारी सहयोग दे सके। ताकि हम शिक्षा के क्षेत्र में अपने समाज को एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सके।

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