छोटी मगर मोटी बाते – अपने अपने शहर,गांव, मुहल्ले, पंचायत, टोला मे जितने जाति के लोग है
सारे घानूक भाईयो,बहनों से निवेदन है की वह जहाँ भी है अपने अपने शहर,गांव, मुहल्ले, पंचायत, टोला इत्यादि मे जितने भी अपने जाति के लोग है उन सभी से अपना सम्पर्क बनाये और कोशिश करे की महीने मे एक बार एक जगह इकठ्ठा हो और आपस मे एक दुसरे के बारे मे जानकारी ले एक दुसरे की मदद करे सुख दुख बाटे फिर देखिये हमारी जाति के लोगों मे ऐसी एकता उत्प्नन होगी की हम लोग किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए सक्षम रहेंगे।
वो जहाँ भी है वहाँ का वोटर लिस्ट ले या नेट पर से अपने मतदान क्षेत्रों का वोटर लिस्ट डानलोड कर ले उन मे से जितने भी अपने जाति के लोग है उनका एक लिस्ट बना ले तथा कभी भी अपके घर मे कोई सा भी खुशी का माहौल हो उन लोगों को जरूर निमंत्रण दे इस से जितने भी अपने जाति के लोग है उन सभी को आपस मे एक दुसरे के बारे मे जानने का मौका मिलेगा और घानूक जाति की एकता बढेगी।
आप लोगों ने कभी सोचा है मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, मे एकता का कारण, मुसलमान हर स्रुकवार के दिन एक ही लोगों से एक ही महजीद मे बार बार मिलते है,ईसाई हर रविवार के दिन एक ही चर्च मे एक ही शहर के लोगों से मिलते है,सिख भी हर रविवार को एक ही गुरुद्वारा मे एक ही शहर के लोगों से मिलते है आप ही सोचिये एक ही लोगों से बार बार मिलेंगे तो एक दुसरे मे नजदीकिया तो बढ़ेगी ही एकता भी बढ़ेगी। पर क्या हिन्दु एक ही मंदिर मे एक साथ मिलते है नहीं हम शनिवार को तो तुम रविवार वो सोमवार को बस यही कमजोरियों है हम लोगों की। इसीलिए कहते है सभी घानूक भाईयों से महीने मे एक बार जरूर इकटठा हो एक ही जगह।
हमारा एक छोटा सा सुझाव है उन सुखी सम्पन्न घानूक परिवारो से की अगर वो घर मे काम करनेवाला या करनेवाली,ड्राईवर रखे तो अपने ही जाति के उन लोगों को रखे जो पैसे के मामले मे बेबस व लाचार हो,दूघ,सब्जियां, राशन का समान ईत्यादी भी अपने ही जाति के लोगों से ले।
कोशिश करते रहे और समाज को ऊपर लाने के लिए व्यक्तिगत तौर पर जो कर सकते है अवश्य करे। यह शुरुआत होगी जब तक हम नहीं बदलेंगे तब तक समाज के बदलने की कल्पना नहीं कर सकते है।
धन्यवाद!
डॉ भवेश
नोट: कोई भी सुझाव सादर आमंत्रित है तथा यह मेरा अपना विचार है। इसमें कही से किसी की भावना को दुःख पहुँचाने का कोई इरादा नहीं है।
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