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शिक्षा का महत्व और उसकी भूमिका

शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है सफल और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए।

सफलता और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए शिक्षा का महत्व

सामाजिक उत्थान में शिक्षा का महत्व और उसकी भूमिका

शिक्षा सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सफलता और सुखी जीवन प्राप्त करने के लिए जिस तरह स्वस्थ्य शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह ही उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए यह बहुत आवश्यक है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करके, शारीरिक और मानसिक मानक प्रदान करती है और लोगों के रहने के स्तर को परिवर्तित करती है। यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से अच्छा होने के साथ ही बेहतर जीवन जीने के अहसास को बढ़ावा देती है। अच्छी शिक्षा की प्रकृति रचनात्मक होती जो हमेशा के लिए हमारे भविष्य का निर्माण करती है। यह एक व्यक्ति को उसके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्तर को सुधारने में मदद करती है। यह हमें बहुत से क्षेत्रों का ज्ञान प्रदान करके बहुत सा अत्मविश्वास प्रदान करती है। यह सफलता के साथ ही व्यक्तिगत विकास का भी एकल और महत्वपूर्ण मार्ग हैं। शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है सफल और सुखी जीवन तथा शानदार और बेहतर जीवन जीने के लिए।
 
जितना अधिक हम अपने जीवन में ज्ञान प्राप्त करते हैं, उतना ही अधिक हम अपने जीवन में वृद्धि और विकास करते हैं। अच्छे पढ़े-लिखे का मतलब केवल यह कभी नहीं होता कि प्रमाण पत्र और प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त संगठन या संस्था में नौकरी प्राप्त करना, हालांकि इसका यह भी अर्थ होता है जीवन में अच्छे और सामाजिक व्यक्ति होना। यह हमें हमारे लिए और हम से संबंधित व्यक्तियों के लिए क्या सही है और क्या गलत है को निर्धारित करने में मदद करता है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का सबसे पहला उद्देश्य अच्छे नागरिक बनना और उसके बाद व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफल व्यक्ति बनना होता है। हम बिना अच्छी शिक्षा के अधूरे हैं क्योंकि शिक्षा हमें सही सोचने वाला और सही निर्णय लेने वाला बनाती है। इस प्रतियोगी दुनिया में, शिक्षा मनुष्य की भोजन, कपड़े और आवास के बाद प्रमुख अनिवार्यता बन गयी है। यह सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान प्रदान करने में सक्षम है: यह भ्रष्टाचार, आतंकवाद, हमारे बीच अन्य सामाजिक मुद्दों के बारे में अच्छी आदत डालने और जागरुकता को बढ़ावा देती है।
 
शिक्षा एक व्यक्ति के लिए आन्तरिक और बाह्य ताकत प्रदान करने का सबसे महत्वपूर्ण यंत्र है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और किसी भी इच्छित बदलाव और मनुष्य के मस्तिष्क व समाज के उत्थान में सक्षम है।
 

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मंडल रिपोर्ट : कब क्या हुआ

मंडल रिपोर्ट : कब क्या हुआ20 दिसंबर 1978 – सामाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की समीक्षा के लिए मोरारजी देसाई सरकार ने बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की. यह मंडल आयोग के नाम से चर्चित हुआ.

1 जनवरी 1978 – आयोग के गठन की अधिसूचना जारी.

दिसंबर 1980 – मंडल आयोग ने गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह की रिपोर्ट सौंपी. इसमें अन्य पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश.

1982 – रिपोर्ट संसद में पेश.

1989 – लोकसभा चुनाव में जनता दल ने आयोग की सिफारिशों को चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया.

7 अगस्त 1990 – विश्वनाथ प्रताप सिंह ने रिपोर्ट लागू करने की घोषणा की.

9 अगस्त 1990 – विश्वनाथ प्रताप सिंह से मतभेद के बाद उपप्र्धानमंत्री देवीलाल ने इस्तीफ़ा दिया.

10 अगस्त 1990 – आयोग की सिफारिशों के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था करने के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू.

13 अगस्त 1990 – मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने की अधिसूचना जारी.

14 अगस्त 1990 – अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चे के अध्यक्ष उज्जवल सिंह ने आरक्षण प्रणाली के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

19 सितंबर 1990 – दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एसएस चौहान ने आरक्षण के विरोध में आत्मदाह किया. एक अन्य छात्र राजीव गोस्वामी बुरी तरह झुलस गए.

17 जनवरी 1991 – केंद्र सरकार ने पिछड़े वर्गों की सूची तैयार की.

वीपी सिंह – वीपी सिंह सरकार ने आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने की घोषणा की थी

8 अगस्त 1991 – रामविलास पासवान ने केंद्र सरकार पर आयोग की सिफ़ारिशों को पूर्ण रूप से लागू करने में विफलता का आरोप लगाते हुए जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. पासवान गिरफ़्तार किए गए.

25 सितंबर 1991 – नरसिंह राव सरकार ने सामाजिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान की. आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत करने का फ़ैसला. इसमें ऊँची जातियों के अति पिछड़ों को भी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया.

24 सितंबर 1990 – पटना में आरक्षण विरोधियों और पुलिस के बीच झड़प. पुलिस फायरिंग में चार छात्रों की मौत.

25 सितंबर 1991 – दक्षिण दिल्ली में आरक्षण का विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस फायरिंग में दो की मौत.

1 अक्टूबर 1991 – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आरक्षण के आर्थिक आधार का ब्यौरा माँगा.

2 अक्टूबर 1991 – आरक्षण विरोधियों और समर्थकों के बीच कई राज्यों में झड़प. गुजरात में शैक्षणिक संस्थान बंद किए गए.

10 अक्टूबर 1991 – इंदौर के राजवाड़ा चौक पर स्थानीय छात्र शिवलाल यादव ने आत्मदाह की कोशिश की.

30 अक्टूबर 1991 – मंडल आयोग की सिफारिशों के ख़िलाफ़ दायर याचिका की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह मामला नौ न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया.

17 नवंबर 1991 – राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और उड़ीसा में एक बार फिर उग्र विरोध प्रदर्शन. उत्तर प्रदेश में एक सौ गिरफ़्तार. प्रदर्शनकारियों ने गोरखपुर में 16 बसों में आग लगाई.

सुप्रीम कोर्ट – सुप्रीम कोर्ट ने भी मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की अनुमति दे दी थी

19 नवंबर 1991 – दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में पुलिस और छात्रों के बीच झड़प. लगभग 50 लाख घायल. मुरादाबाद में दो छात्रों ने आत्मदाह का प्रयास किया.

16 नवंबर 1992 – सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसले में मंडल आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने के फ़ैसले को वैध ठहराया. साथ ही आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत रखने और पिछड़ी जातियों के उच्च तबके को इस सुविधा से अलग रखने का निर्देश दिया.

8 सितंबर 1993 – केंद्र सरकार ने नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण देने की अधिसूचना जारी की.

20 सितंबर 1993 – दिल्ली के क्राँति चौक पर राजीव गोस्वामी ने इसके ख़िलाफ़ एक बार फिर आत्मदाह का प्रयास किया.

23 सितंबर 1993 – इलाहाबाद की इंजीनियरिंग की छात्रा मीनाक्षी ने आरक्षण व्यवस्था के विरोध में आत्महत्या की.

20 फरवरी 1994 – मंडल आयोग की रिफारिशों के तहत वी राजशेखर आरक्षण के जरिए नौकरी पाने वाले पहले अभ्यार्थी बने. समाज कल्याण मंत्री सीताराम केसरी ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा.

1 मई 1994 – गुजरात में राज्य सरकार की नौकरियों में मंडल आयोग की सिरफारिशों के तहत आरक्षण व्यवस्था लागू करने का फ़ैसला.

2 सितंबर 1994 – मसूरी के झुलागढ़ इलाके में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में दो महिलाओं समेत छह की मौत, 50 घायल.

प्रदर्शन – लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन चलता रहा

13 सितंबर 1994 – उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित राज्यव्यापी बंद के दौरान भड़की हिंसा में पाँच मरे.

15 सितंबर 1994 – बरेली कॉलेज के छात्र उदित प्रताप सिंह ने आत्महत्या का प्रयास किया.

11 नवंबर 1994 – सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की नौकरियों में 73 फीसदी आरक्षण के कर्नाटक सरकार के फ़ैसले पर रोक लगाई.

साभार: बीबीसी

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अमर शहीद रामफल मंडल जी की प्रतिमा

अमर शहीद रामफल मंडल

अमर शहीद रामफल मंडल

दिनांक २९ अक्टूबर २०१७ को सीतामढ़ी के बाजपटटी में अमर शहीद रामफल मंडल जी की प्रतिमा पर सेंकडो की संख्या में उपस्थित होकर धानुक बंधुओ ने माल्यार्पण किया और उनका आशीर्वाद लिया तथा संकल्प किया की अब उनकी उपेक्षा को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और सरकार को उन्हें शहीद का दर्जा देना ही पड़ेगा। इसमें खासकर सोशल मीडिया के जितने भी भाई बंधू अमर शहीद रामफल मंडल जी के नाम का प्रचार प्रसार कर रहे है उनका योगदान सराहनीय रहा और पूरा धानुक समाज उन सभी सोशल मीडिया के मित्रो को आभार व्यक्त करता है जिससे यह कार्यक्रम सफल हो सका। जिसमे पुरे देश के अलग अलग क्षेत्रो में अपने अपने काम के सिलसिले में बाहर रहने वाले धानुक भाइयो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया उन सभी को साधुवाद और आगे भी इस तरह के कार्यक्रमों से समाज में सांस्कृतिक तौर पर एकता की मिसाल कायम करने में मदद मिलेगी। उन सबसे अलग स्थानीय तौर पर जितने भी धानुक समाज के लोग है जो किसी ना किसी तौर पर अमर शहीद रामफल मंडल जो को गुमनामी के दौर से निकालकर समाज के सामने लाये है उनका भी योगदान सराहनीय रहा और इसके लिए उन सभी भाइयो का धन्यवाद।

 

इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगो में प्रमुखता से अ.भा.धा.उ.म. के मधुबनी जिला के उपाध्यक्ष से श्री उमानाथ मंडल और युवा विद्यासागर मंडल और मधुबनी जिला से आये सभी धानुक बंधू, दरभंगा से सुशील मंडल और मधवापुर प्रखंड अध्यक्ष श्री परशुराम मंडल जी उनके साथी, दिल्ली से आये बिश्वेसर मंडल, किसन मंडल, देव मंडल, श्याम सुन्दर मंडल उनके साथी आदि, सूरत से आये रवि मंडल, कमलेश मंडल, राजू मंडल, अनिल मंडल, कामेश्वर मंडल, गुड्डू मंडल और उनके साथी आदि तथा सीतामढ़ी से आये गणेश मंडल, नागेन्द्र मंडल, जगदीश मंडल, दीपू मंडल, अशोक मंडल, श्रवण मंडल, गोविन्द मंडल और उनके साथी आदि लोगो ने इस माल्यार्पण कार्यक्रम हिस्सा लिया।

 

सभी साथियो से अनुरोध है की धानुक संपर्क में लगे रहिये और लोगो के बताते रहिये की हमारा भी स्वर्णिम इतिहास है। हमारे बाजुओ में ताकत थी और रहेगी हमारी लेखनी में ताकत थी और रहेगी। इसीलिए इस बात को जितना फैला सकते है फैलाये यही आप सभी से निवेदन है|

 

अंत में कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा इस संकल्प के साथ ली गयी की सरकार के साथ संघर्ष जारी रहेगा तबतक जबतक उनको शहीद का दर्जा नहीं दे दिया जाता है और उनके नाम पर डाक टिकट जारी नहीं कर दिया जाता है।

 

बाद में अमर शहीद रामफल मंडल जी के गाँव जाकर उनके परिवार के कुछ सदस्य जैसे राम विनोद मंडल, अमीरी मंडल तथा सुखारी मंडल आदि से मिलकर तात्कालिक स्थिति के बारे में जानकारी ली गयी। गाँव वालों से बात करने के बाद पता चला की गाँव के लोगो की मांग जो वर्षो से चली आ रही है की गाँव में उनके नाम पर एक स्मृति भवन की मांग को सरकार से मांग पूरी नहीं हुई है। 

अलग अलग जगहों पर धानुक संपर्क के द्वारा लोगो में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है उन सभी की तारीफ़ की जानी चाहिए प्रमुखता से अगर नाम लिया जाए तो दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मधुबनी, दरभंगा, कटिहार, सहरसा, सुपौल, पूर्णियां, मधेपुरा, पटना, खगड़िया, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, छपरा, सिवान, सीतामढ़ी, सूरत श्रीगंगानगर, मुंबई, पुणे, बैंगलोर आदि|

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