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धानुक समाज का आंदोलन

धानुक समाज का आंदोलनधानुक समाज का आंदोलन – सभी धानुक समाज के समाजसेवियों को हार्दिक बधाई कल सम्पन्न हुए एक दिवसीय महासम्मेलन के लिए। जो आ पाये उनका हार्दिक अभिनन्दन, जो नहीं आ पाये किसी कारणवश उनको आगे आने वाले आंदोलन के लिए हार्दिक शुभकामना।

 

कल कार्यकर्ताओं द्वारा उठाये गए मुद्दों को लेकर समाज के सभी समाजसेवियों की एक मत से यही राय रही की इस आंदोलन को हमे अपने समाज के निचले तबके तक ले जाना है जो इन सब बातो से वंचित है। हमे समाज के उस तीसरी जमात के लोगो को भी इस मुहीम का हिस्सा बनाना है जो कही छूट रहे है अपने सामाजिक सरकारो से। उनके उत्थान के लिये समाज के सभी बुद्धिजीवियों से आग्रह किया गया की आप सभी अपनी अपनी तरफ से कोशिश करे उन्हें आगे लाने की और उन्हें समाज के मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रेरित करे। धानुक समाज का पिछड़ापन ही उसकी बड़ी समस्या रही है लेकिन इसका मतलब यह नही है की हम अपने समाज को उसके हाल पर छोड़ कर आगे बढ़ जाये। जब तक हमारे समाज का हर एक व्यक्ति इस बात को नही समझ लेता तब तक हमे यह लड़ाई जारी रखनी है। हम आज तक ठगे गए है और हमे अपने समाज के अंदर बैठे विभीषण को पहचानना होगा और उन्हें अपने इस कार्य में बाधा पहुँचाने से रोकना होगा ताकि हम अपने समाज को आगे की पंक्ति में खड़ा देख पाये। हमारा उदेश्य ही यही है की हम अपने समाज में फैली भांति भांति के भ्रांतियों के वावजूद आगे बढ़े और उन्हें इनसे निजात दिला पाये।

 

पहले कब क्या हुआ किसने क्या किया हमे उनसे कोई सरोकार नहीं अगर किसी ने समाज के प्रति थोड़ा सा भी योगदान दिया है तो हमे उसके योगदान को भूलना भी नहीं चाहिए। हमे इन सब को भूल कर आगे बढ़ना है और हमें अपने समाज को आगे लाने के लिए जो भी करना पड़े करेंगे। ज़िन्दगी में हमेशा सब कुछ सही नहीं होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की हम आगे को सोचना बंद कर दे और हम व्यक्तिगत तौर पर करते भी नही है तो जब व्यक्तिगत तौर पर जिस बात को आगे नहीं बढ़ाते है उसे सामाजिक तौर पर क्यों बढ़ाये।

 

तो आप सभी महानुभावों से आग्रह है की आप अपने समाज के निचले तबके की ओर देखना शुरू करे और उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास करे हम जरूर कामयाब होंगे। रही बात हमारी जाती को बिहार में ST में शामिल करने की वो हमारा हक़ है जो हम लेकर रहेंगे।
जय धानुक जय भारत।

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बिहार में धानुक समाज का ST की मांग

क्या बिहार में धानुक समाज का ST की मांग नाजायज़ है?क्या बिहार में धानुक समाज का ST की मांग नाजायज़ है?

सवाल बहुत सारे है जैसे
ST में शामिल करने की वजह?
समाज में और कितना गिरेंगे?
ST में आने के बाद क्या आप कभी जनरल में आ पाएंगे?
अपने को और गिराने से अच्छा है अपने जानने वालो को मुख्यधारा में जोड़ा जाये?
मुझे कभी आरक्षण की जरुरत नहीं पड़ी?
विकलांग को अगर ज्यादा सुविधा मिलती है तो क्या हम अपने आप को अपंग बना ले?
SC/ST के हालात देखे आपको नहीं लगता है अपने आप को वही धकेल देना समाज के प्रति नाइंसाफी नहीं है?
क्या इससे समस्या का समाधान हो जायेगा?
क्या यह सिर्फ धानुक समाज की समस्या है?
हमसे अच्छा तो कुर्मी और यादव है जो पिछड़े में होते हुए भी हमारी जगह ले गए?

 

तो इन सारे सवालो का जवाब अलग अलग तो दिया जा सकता है लेकिन इन ज्वलंत सवालो का जवाब इस तरह से दिया जा सकता है।

कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना। अगर ST में आने से कुछ का भला होता है तो क्यों नहीं, वैसे भी वह दिन दूर नहीं जब आरक्षण ही नहीं रहेगा। ये कोरी सच्चाई है जो लोग आज बिना आरक्षण के आगे बढ़ जाते है उनके लिए आरक्षण नहीं होता। बिना आरक्षण के बढ़ने वाले आज भी जनरल में जगह पाते है। कभी आपने सोचा है बिहार को छोड़कर सारे राज्यों में धानुक SC में  क्यों आते है? क्या आपने सोचा हैआपको IIT में एडमिशन के लिए उदाहरण के तौर पर 500 नंबर लाने होते है लेकिन UP और बांकी राज्यों के धानुक को 450 में क्यों एडमिशन मिल जाता है। ये फर्क है जरा गौर फरमाइयेगा आप अपने किसी UP के दोस्त को बोल के देखिये की मैं धानुक हूँ वह आपको SC/ST ही समझेगा ना की OBC। इसका मतलब है की आप मानसिकता में पहले से ही गिरे हुए ही है, आपको और गिराने की क्या आवश्यकता है। आप कहते है आपको कभी आरक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ी आपको धन्यवाद देना चाहिए अपने माता पिता को जिन्होंने आपको इस हद तक संवारा की आपको आरक्षण की जरुरत नहीं पड़ी। लेकिन क्या आपको एहसास है की यह सुविधा कितनो को मिल पाती है क्या हमे उसी सुविधा को निचले तबके तक नहीं ले जाना चाहिए? जैसा हम जानते है यह सिर्फ बिहार के धानुको में ये ग़लतफ़हमी है की हम ऊपर है क्योंकि बांकी राज्यों में तो आप SC/ST है। आप बराबरी की बात क्यों नहीं करते की बांकी जगह जब सरकार ने SC में रखा है तो यहाँ इस समाज को उस हक़ से वंचित क्यों रखा गया। क्या उसका फायदा निचे तबके के लोगो को नहीं मिलना चाहिए जो वाकई में इसके हक़दार है?

 

जिन्होंने इस दंश को झेला है उन्हें अंदाज़ा है की कास बिहारी धानुक भी SC में होता तो मैं भी आज एक अच्छे जगह होते क्योंकि वह जो एक नंबर से पीछे रह जाता है और उससे 5 नंबर कम लाने वाला दूसरे राज्य का धानुक का एडमिशन हो जाता है या उसको नौकरी मिल जाती है। ऐसे को तो मौका मिलेगा ताकि वह अपने आप को  और अपने परिवार को देख पायेगा और अपने परिवार को वर्षो से झेलता आ रहा संताप से छुटकारा करा पायेगा। आप कहते है जो एक नंबर से पिछड़ जाता है तो उसका नंबर बढ़ाये, हम कहते है पैसा ही नहीं उसके पास तो आगे की पढाई कैसे करेगा और कितनी बार वह एडमिशन के लिए पेपर देगा और कितनी बार वह नौकरी के लिए फॉर्म भरेगा और कैसे भरेगा। OBC का फॉर्म फीस और जनरल का फॉर्म फीस में 50 रुपैये का अंतर होता है और जनरल और SC/ST के फॉर्म फीस का अंतर 300 का होता है। आप 5 बार UPSC बैठ सकते है और SC/ST अनगिनत बार भाग ले सकता है। आपको नहीं लगता बांकी राज्यों के वनिस्पत बिहार के धानुको के साथ पक्षपात है। आप कहते है आप सिर्फ अपने बारे में सोच रहा हूँ। क्या आप यह कह कर अपने आप को उसी सवाल के घेरे में नहीं ले रहे है?

 

आप बांकी समाज के बारे में सोच रहे है अच्छी बात है क्यों, क्योंकि आपके पास जीने लायक पैसा है बांकियों के बारे में सोचिये जो आज भी आज़ादी के 65 साल बाद भी निचले तबके में कही गुलामी की जंजीरो में कही जी रहा है। इस आंदोलन से कम से कम हम एक प्लेटफॉर्म पर तो आये वैसे ही जैसे सभी जातिओं का अपना संगठन है अपनी सोच है तो इस समाज का भी अपना संगठन क्यों ना हो।

 

आपको फर्क नहीं परता एक बार 1 नंबर से पीछे रह गए कोई नहीं एक बार और कोशिश कर लेंगे लेकिन उनका सोचिये जो किसी तरह एक बार फॉर्म भरते है, और दूसरी बार वह भर नहीं सकता क्योंकि उसके पास पैसे नहीं है। ये गर्त में जाने की कोइ बात नहीं है आप अपने समाज को बांकी राज्यों के तुलना करके देखिये की बिहारी धानुक क्यों पीछे रह गया। सरकार अगर किसी जाती को एक केटेगरी में रखा है तो हर एक राज्य के लोगों को रखना चाहिए ना यह पक्षपात क्यों। लेकिन हर कोई अपनी जाती को देख रहा है चाहे वह आज की राजनितिक पार्टियां ही क्यों ना हो, क्या ये गिनती भूल जाते है चुनाव में।

 

आप जीवन भर जाती प्रमाण पत्र के लिए एड़ियां रगड़ते रहिये, कोई नहीं पूछेगा। मर जाइये, राजनितिक पार्टियां फ़ौरन आपकी जाती सत्यापित कर देगी। और हम आपसे कहते है हम जिस भी जाती में आते है उन जातियों को क्यों आज भी एक मामूली प्रमाण पत्र के लिए भी राजनितिक रसूख़ की जरुरत पड़ती है।

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धानुक समाज का पिछड़ापन

धानुक समाज में शिक्षा का महत्त्वधानुक समाज का पिछड़ापन -धानुक समाज कई तरह की आंतरिक भ्रांतियों से भरा हुआ एक पिछड़ा समाज है जो हमेशा से उहापोह की स्तिथि में रहा। इसके पीछे भी एक बड़ी वजह रही जो इस समाज को असमंजस की स्तिथि में रखने के लिए काफी थी। जैसा हमने पिछले लेख में दर्शाया था यह समाज अपने ऐतिहासिक विरासत जो ना तो इसे ऊपरी जाती के साथ रख पाया ना ही नीची जाती के साथ। सबसे बड़ा पिछड़ेपन का कारण इस जाती में कोई भी ऊपरी स्तर पर राजनितिक नेतृत्व का ना होना। आज भी अगर नजर दौड़ाया जाया तो पुरे भारत में 70 लाख की जनसंख्या होने के बावजूद कोई भी राजनितिक नेतृत्व नहीं दिख पड़ता।

ऊपरी स्तर पर राजनितिक नेतृत्व का नहीं होने की वजह से इस जाती का हमेशा से दोहन होता रहा। चाहे वह जगन्नाथ मिश्र जी की सरकार में हो या लालू प्रसाद जी की सरकार में या अभी नितीश जी की सरकार की बात हो। नितीश जी का 2015 विधानसभा चुनाव के ऐन पहले नोनिया जाती को ST में शामिल करना जैसे दुखती रग पे नमक रखने जैसा था। वर्तमान सरकार ने इस जाती के भीतर भी कई तरह के भितरघात किये है जैसे कुर्मी जाती को अलग से महत्व देना, पटेल और वर्मा को अलग तरह से महत्व देना एक उदहारण है। धानुक जाती जो बिहार की अग्रणी पिछड़ी जाती में से आती है उन्होंने फैसला किया है की अब नहीं अब हम संगठित हो के रहेंगे और सरकार को दिखा के रहेंगे की अब हम ही अपने समाज के बारे में सोचेंगे और कोई नहीं। हमने बहुत दुसरो पर भरोसा किया जिसकी वजह से आज तक हम ठगे गए है।

दूसरी सबसे बड़ी वजह रही अशिक्षा, जो इस समाज में बहुत बड़ी है। इस समाज में अशिक्षा की वजह उसका स्कूल ड्राप भी है, जो प्रतिशत में बहुत है। अशिक्षा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है। जिसके बारे में हमे संजीदगी से सोचना होगा। अशिक्षा की एक बड़ी वजह है आर्थिक तंगी, जिसके बारे में हमे सामाजिक तौर पर सोचना होगा।

कहते है जिस समाज का युवा और शिक्षित वर्ग जाग जाए उस समुदाय का भला होने में देर नहीं लगती। और आज बिहार का धानुक समाज का युवा वर्ग चाहे जहाँ भी पुरे भारत में वो जाग गया है, और अब उसे दबाया नहीं जा सकता है।

उठो जागो युवा वर्ग दिखा दो जो भी अब तक सहा है हमारे वर्ग ने अब हम उसे सहने नहीं देंगे।अगर सरकार इस बारे में नहीं सोचेगी तो भी अब हम जागरूक होकर इस समुदाय को वो स्थान दिलाएंगे जिसकी वह हक़दार है।

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