धानुक समाज का पिछड़ापन और उसकी वजह – धानुक जाति बिहार और झारखंड राज्य की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाली पिछड़ा वर्ग समाज है। जो आजादी के 65 साल बाद भी पिछड़ा ही रह गया। अगर हम नजदीक से देखे तो इन समाज में फैली भ्रांतियां ही इस समाज को अभी तक पिछड़ापन की ओर धकेलता नजर आ रहा, इसके साथ साथ सरकार की उपेक्षा भी इस समाज के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण है।
आज भी इस समाज का कोई सफल राजनितिक प्रतिनिधित्व नहीं होना भी इसका एक बड़ा कारण है। माननीय नितीश कुमार और लालू प्रसाद जी इन पिछड़े वर्ग में से एक बड़े वर्ग की जाती का प्रतिनिधित्व करते है तो इन समाजो का राजनितिक स्तर के साथ सामाजिक स्तर में सुधार हुआ और होना लाजिमी भी था।
तो प्रश्न ये उठता है की धानुक समाज कहा पीछे रह गया। फौरी तौर पे दो कारण नजर आता है 1) इस समाज का कोई भी राजनितिक प्रतिनिधित्व ना होना। 2) शिक्षा का अभाव। ऐसा नहीं है इस समाज में बुद्धिजीवियों की कमी रही है। जिस तरह के सामाजिक परिक्षेत्र से यह समाज आता है उस समाज में जो भी बुद्धिजीवी आये उनकी काबिलेतारीफ होनी चाहिए क्योंकि ना तो इस समाज की कोई सामाजिक हैसियत और ना ही आर्थिक हैसियत थी। उसके बावजूद ऐसा होना इस समाज की बुद्धिमत्ता और सामाजिक सूझबूझ दर्शाता है। अगर इतिहास उठा के देखा जाये तो यह समाज हमेशा से शांतिप्रिय रहा है अगर इस समाज को अगर किसी ने हानि नहीं पहुंचाई हो तो और हाँ अगर कभी इस समाज पर किसी भी तरह की खतरे की घंटी दिखाई पड़ी हो तो यह समाज धनुष ले के लड़ने को भी तैयार खड़ा रहा है।
लेकिन समय के साथ बाँकी पिछड़े समाजो की तरह यह समाज भी काफ़ी हद तक राजनितिक और आर्थिक दोनों तरह के पिछड़ेपन का शिकार रही है। चाहे वो आजादी से पहले या आजादी के बाद के सालो में। आजादी के पहले का कुछ भी रहा हो लेकिन आजादी के बाद के सालो में यह समाज हमेशा से उपेक्षित रहा है। जिसके लिए हमारी राजनितिक उदासीनता काफ़ी हद तक जिम्मेदार है।
अगर हमारे समाज को समाज में न्यायोचित स्थान दिलाना है तो हमे अपने समाज के लिए ईमानदारी से राजनितिक अस्तित्व के बारे में सोचना होगा। आज की तारीख में जब तक हम अपनी राजनितिक भविस्य नहीं तलाशेंगे तब तक हम अपने समाज का भला नहीं कर पाएंगे। ध्यान रहे मैं यहाँ ईमानदारी से राजनितिक स्थान की बात कर रहा हूँ। और अगर हम ईमानदारी से कोशिश करेंगे तो जरूर सफल होंगे।
जय धानुक समाज, जय भारत।
साहि का हा हमे एक जुट होके लडना होगा धानुक हमेसा से पीछडा राहा है जबतक हमे एक ईमानदार नेता को जरुर्त है आजभी हम st मे जग्ह नहीं बना पाये इसकेलिये राजसरकार से लेकर केंद्र सरकार तक को झकझो ना होगा